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प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के अलावा तीसरा मोर्चा भी दम भर रहा है। तीसरे मोर्चे में कई दल शामिल हैं, लेकिन अब तक सभी दल एक मंच पर नहीं आ पाए हैं। वे सभी सीटों पर चुनाव लडऩे का दावा कर रहे हैं। भारत वाहिनी पार्टी, जहां घनश्याम तिवाड़ी के चेहरे पर चुनाव मैदान में है तो आम आदमी पार्टी दिल्ली के सुशासन का दावा कर जमीन तलाश रही है। बसपा खोई हुई ताकत वापस लाने में जुटी है। 2008 में पार्टी छह सदस्यों को विधानसभा भेजने में कामयाब हुई थी। विधायक मानवेंद्र सिंह और हनुमान बेनीवाल भी अपने-अपने क्षेत्र में जनसम्पर्क में जुटे हैं।
विधायक हनुमान बेनीवाल ने हालाँकि इस स्थिति को स्पष्ठ नही किया है उनका हमेशा कहना रहता है कि वे खुद का तीसरा मोर्चा खड़ा करेंगे ! बेनीवाल के अनुसार अगर कांग्रेस जाट मुख्यमंत्री की घोषणा करती है तो वे कांग्रेस को समर्थन देने के लिए तैयार है !
चार साल तक सरकार से नाराज रहे घनश्याम तिवाड़ी ने चुनाव से ठीक पहले भारत वाहिनी पार्टी बनाकर भाजपा का गणित बिगाडऩे की कोशिश की है। जयपुर, सीकर में पार्टी ज्यादा सक्रिय है। प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी भी प्रदेश भर में रैली और जनसम्पर्क कर मौजूदा सरकार पर हल्ला बोल रहे हैं। राजपूत समाज के कुछ नेताओ को साथ भी लेकर आए हैं।
राजस्थान में लोकतांत्रिक मोर्चे से हाथ मिलाने को तैयार बीएसपी!राजस्थान में बीएसपी नई संभावनाएं तलाशने में जुट गई है. बीएसपी नेता लोकतांत्रिक मोर्चा के दलों के संपर्क में हैं और बीएसपी का नया प्लान लोकतांत्रिक मोर्चे के साथ चुनाव में उतरना हो सकता है.
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के दिग्विजय सिंह को बीजेपी और आरएसएस का एजेंट करार देने वाले बयान के बाद कांग्रेस के साथ गठबंधन जहां खटाई में पड़ गया है, वहीं राजस्थान में पार्टी नई संभावनाएं तलाशने में जुट गई है. बीएसपी नेता लोकतांत्रिक मोर्चा के संपर्क में हैं. बीएसपी का नया प्लान लोकतांत्रिक मोर्चे के साथ राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में उतरना हो सकता है. बसपा के प्रदेश प्रभारी मुनकाद अली ने कहा है कि लोकतांत्रिक मोर्चा के दलों के साथ बात चल रही है. अगर बीएसपी और लोकतांत्रिक दलों का गठबंधन होता तो प्रदेश की करीब 50 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के समीकरण बिगड़ सकते हैं. इससे सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हाेने की आशंका जताई जा रही है.
यह भी पढ़ें: जयपुर किसान हुंकार रैली में हनुमान बेनीवाल 101% करेंगे तीसरे मोर्च की घोषणा !
राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही मोर्चों का गठन होना शुरू हो चुका है और इसकी विधिवत शुरुआत हाल ही वामंपथी और समाजवादी दलों ने की है. वामपंथी और समाजवादी दलों ने मिलकर लोकतांत्रिक मोर्चा बनाया है. लोकतांत्रिक मोर्चे के सम्मेलन में जेडीएस, सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई माले, सीपीआई माले (एल), समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के नेता व कार्यकर्ता शामिल हुए. इन सभी सात दलों ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया. लोकतांत्रिक मोर्चे में अभी और भी दल शामिल हो सकते हैं.
बता दें कि, भारत वाहिनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी और खींवसर से निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल भी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले हैं. संभावनाएं ये भी जताई जा रही हैं कि भारत वाहिनी और बेनीवाल भी लोकतांत्रिक मोर्चे में शामिल हो सकते हैं.
राजस्थान में बसपा और कांग्रेस के बीच में गठबंधन होने से पहले ही टूट गया. अब बसपा के राजस्थान के प्रभारी मुमकाद अली ने भी साफ कर दिया है कि बसपा सर्वसमाज के साथ का नारा लेकर चुनावों में जाएगी. इस बार इसी नारे के साथ बसपा साल 2008 से भी ज्यादा सीटें लायेगी. बसपा का वोटिंग प्रतिशत भी इस बार प्रदेश में बढ़ेगा.
राजस्थान के बसपा इंचार्ज मुमकाद अली ने कहा कि बसपा को साल 2008 में 6 सीटें मिली थी और वोट प्रतिशत भी अधिक हुआ था. इस बार बसपा का वोट प्रतिशत और सीटें साल 2008 से भी ज्यादा होंगी. वहीं कांग्रेस के साथ गठबंधन ना करने के बाद बसपा के गढ़ पूर्वी राजस्थान में हो रहे कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे को लेकर उन्होंने कहा कि कांग्रेस चाहे राहुल गांधी का दौरा करवाये या फिर किसी अन्य नेता का लेकिन बसपा का जनाधार किसी से भी कम नहीं होगा.
बसपा सुप्रीमो मायावती इतनी सक्षम है कि उनका वोट बैंक कोई कम नहीं कर सकता है. वहीं उन्होंने कहा कि ना ही मायावती और ना बसपा का वोटर किसी के बहकावे में आता है. बसपा का वोटर किसी पार्टी का मोहताज नहीं है. मुमकाद अली ने साफ किया कि चुनावों में इस बार मायावती राजस्थान में चुनावी सभा करेंगी. बसपा के राजस्थान प्रभारी ने कहा कि आम आदमी अब महसूस कर रहा है कि केन्द्र और प्रदेश सरकारों ने गरीब लोगों के हितों के काम करने के वादे तो किये थे लेकिन पेट्रोल-डीजल, किसान या छोटे व्यापारियों, महिलाओं की सुरक्षा जैसे हर एजेंडे में भाजपा नाकामयाब रही है. भाजपा का तो कोई एजेंडा ही नहीं है.
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राजस्थान में अब बसपा और कांग्रेस का सम्भावित गठबंधन टूट चुका है. बसपा अब प्रदेश के अन्य छोटे दलों के सम्पर्क में है. प्रदेश में पहले ही वामदलों समेत 6 पार्टियों का लोकतांत्रिक गठबंधन बन चुका है. अब बसपा भी वामदलों के साथ ही राजपा, आप, हनुमान बेनीवाल और धनश्याम तिवाड़ी के साथ गठबंधन कर सकती है.
बसपा का राजस्थान में सफर
प्रदेश में वैसे तो कई जिले ऐसे है जिनकी विधानसभाओं में बसपा का वोटबैंक है, लेकिन प्रदेश के 33 में से आठ जिले ऐसे है जहां पर बसपा के पास अपना बड़ा वोटबैंक है. जिसमें भरतपुर, सवाईमाधोपुर, करौली, चूरू, दौसा, धौलपुर, झुंझनूं शामिल हैं. बसपा ने साल 1990 में राजस्थान में चुनाव लड़ना शुरू किया था. उसे सफलता साल 1998 में पहली बार मिली जब उसके दो विधायक भरतपुर की नगर सीट से माहिर आजाद और अलवर की बानसून सीट से जगत सिंह दायमा जीते थे.
1998 में बसपा ने प्रदेश में कुल 108 कैडिंडेट उतारे थे जिसमें से उसके दो प्रत्याशी चुनाव जीते तो उसका वोट बैंक लड़ी हुई सीटों पर 3.81 रहा था. हालांकी माहिर आजाद ने बसपा को छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. इसी तरह साल 2003 में बसपा ने 124 सीटों पर अपने प्रत्याशी लड़वाये. हालांकी साल 2003 में भी बसपा के दो ही विधायक जीत सके लेकिन बसपा का वोट प्रतिशत 6.40 हो गया.
इस साल बांदीकुई से मुरारी लाल मीणा बसपा से विधायक बने तो वहीं करौली सीट से सुरेश मीणा विधायक बने. हालांकि बसपा के लिए राजस्थान में 2008 के चुनाव सबसे अच्छे रहे थे. जिसमें उसके 6 विधायक विधानसभा में जीतकर आये. साथ ही बसपा का वोटबैंक भी बढ़कर 7.66 प्रतिशत हो गया. विधानसभा चुनावों के बाद यही गोल्डन पिरियड बसपा के लिए सबसे खराब साबित हुआ. इस बार उसके 6 के 6 विधायक बसपा को छोडकर कांग्रेस में शामिल हो गये और मंत्री बन गये.
साल 2008 में बसपा के नवलगढ़ से राजकुमार शर्मा, बाड़ी से गिर्राज सिंह मलिंगा, उदयपुर वाटी से राजेन्द्र गुडा, सपोटरा से रमेश मीणा, गंगापुर से रामकेश मीणा और दौसा सीट से जीतकार आये मुरारी लाल मीणा थे. ये सब बसपा छोडकर कांग्रेस का हाथ थाम मंत्री बने. लेकिन साल 2013 में अपने 6 प्रत्याशियों को खोने के बाद बसपा का वोटबैंक मोदी लहर और किरोड़ी लाल मीणा की पार्टी राजपा के सामने उड़ गया.
हालांकि इस साल भी बसपा के तीन विधायक जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. इसमें सादुलशहर से वीरेन्द्र न्यांगली, खेतड़ी से पूरणमल सैनी और धौलपुर से बीएल कुशवाहा थे. इस साल बसपा का वोटबैंक भी घटकर 3.44 प्रतिशत रह गया. ऐसे में साल 2018 में होने वाले विधानसभा बसपा के लिए भी एक चैलेंज से कम नहीं होंगे.
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विधायक हनुमान बेनीवाल ने हालाँकि इस स्थिति को स्पष्ठ नही किया है उनका हमेशा कहना रहता है कि वे खुद का तीसरा मोर्चा खड़ा करेंगे ! बेनीवाल के अनुसार अगर कांग्रेस जाट मुख्यमंत्री की घोषणा करती है तो वे कांग्रेस को समर्थन देने के लिए तैयार है !
चार साल तक सरकार से नाराज रहे घनश्याम तिवाड़ी ने चुनाव से ठीक पहले भारत वाहिनी पार्टी बनाकर भाजपा का गणित बिगाडऩे की कोशिश की है। जयपुर, सीकर में पार्टी ज्यादा सक्रिय है। प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी भी प्रदेश भर में रैली और जनसम्पर्क कर मौजूदा सरकार पर हल्ला बोल रहे हैं। राजपूत समाज के कुछ नेताओ को साथ भी लेकर आए हैं।
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Hanuman Beniwal |
राजस्थान में लोकतांत्रिक मोर्चे से हाथ मिलाने को तैयार बीएसपी!राजस्थान में बीएसपी नई संभावनाएं तलाशने में जुट गई है. बीएसपी नेता लोकतांत्रिक मोर्चा के दलों के संपर्क में हैं और बीएसपी का नया प्लान लोकतांत्रिक मोर्चे के साथ चुनाव में उतरना हो सकता है.
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती के दिग्विजय सिंह को बीजेपी और आरएसएस का एजेंट करार देने वाले बयान के बाद कांग्रेस के साथ गठबंधन जहां खटाई में पड़ गया है, वहीं राजस्थान में पार्टी नई संभावनाएं तलाशने में जुट गई है. बीएसपी नेता लोकतांत्रिक मोर्चा के संपर्क में हैं. बीएसपी का नया प्लान लोकतांत्रिक मोर्चे के साथ राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में उतरना हो सकता है. बसपा के प्रदेश प्रभारी मुनकाद अली ने कहा है कि लोकतांत्रिक मोर्चा के दलों के साथ बात चल रही है. अगर बीएसपी और लोकतांत्रिक दलों का गठबंधन होता तो प्रदेश की करीब 50 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के समीकरण बिगड़ सकते हैं. इससे सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हाेने की आशंका जताई जा रही है.
यह भी पढ़ें: जयपुर किसान हुंकार रैली में हनुमान बेनीवाल 101% करेंगे तीसरे मोर्च की घोषणा !
राजस्थान में विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही मोर्चों का गठन होना शुरू हो चुका है और इसकी विधिवत शुरुआत हाल ही वामंपथी और समाजवादी दलों ने की है. वामपंथी और समाजवादी दलों ने मिलकर लोकतांत्रिक मोर्चा बनाया है. लोकतांत्रिक मोर्चे के सम्मेलन में जेडीएस, सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई माले, सीपीआई माले (एल), समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के नेता व कार्यकर्ता शामिल हुए. इन सभी सात दलों ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया. लोकतांत्रिक मोर्चे में अभी और भी दल शामिल हो सकते हैं.
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Ghanshyam Tiwari |
बता दें कि, भारत वाहिनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम तिवाड़ी और खींवसर से निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल भी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले हैं. संभावनाएं ये भी जताई जा रही हैं कि भारत वाहिनी और बेनीवाल भी लोकतांत्रिक मोर्चे में शामिल हो सकते हैं.
राजस्थान में बसपा और कांग्रेस के बीच में गठबंधन होने से पहले ही टूट गया. अब बसपा के राजस्थान के प्रभारी मुमकाद अली ने भी साफ कर दिया है कि बसपा सर्वसमाज के साथ का नारा लेकर चुनावों में जाएगी. इस बार इसी नारे के साथ बसपा साल 2008 से भी ज्यादा सीटें लायेगी. बसपा का वोटिंग प्रतिशत भी इस बार प्रदेश में बढ़ेगा.
राजस्थान के बसपा इंचार्ज मुमकाद अली ने कहा कि बसपा को साल 2008 में 6 सीटें मिली थी और वोट प्रतिशत भी अधिक हुआ था. इस बार बसपा का वोट प्रतिशत और सीटें साल 2008 से भी ज्यादा होंगी. वहीं कांग्रेस के साथ गठबंधन ना करने के बाद बसपा के गढ़ पूर्वी राजस्थान में हो रहे कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के दौरे को लेकर उन्होंने कहा कि कांग्रेस चाहे राहुल गांधी का दौरा करवाये या फिर किसी अन्य नेता का लेकिन बसपा का जनाधार किसी से भी कम नहीं होगा.
बसपा सुप्रीमो मायावती इतनी सक्षम है कि उनका वोट बैंक कोई कम नहीं कर सकता है. वहीं उन्होंने कहा कि ना ही मायावती और ना बसपा का वोटर किसी के बहकावे में आता है. बसपा का वोटर किसी पार्टी का मोहताज नहीं है. मुमकाद अली ने साफ किया कि चुनावों में इस बार मायावती राजस्थान में चुनावी सभा करेंगी. बसपा के राजस्थान प्रभारी ने कहा कि आम आदमी अब महसूस कर रहा है कि केन्द्र और प्रदेश सरकारों ने गरीब लोगों के हितों के काम करने के वादे तो किये थे लेकिन पेट्रोल-डीजल, किसान या छोटे व्यापारियों, महिलाओं की सुरक्षा जैसे हर एजेंडे में भाजपा नाकामयाब रही है. भाजपा का तो कोई एजेंडा ही नहीं है.
यह भी पढ़ें: जयपुर किसान हुंकार रैली में हनुमान बेनीवाल 101% करेंगे तीसरे मोर्च की घोषणा !
राजस्थान में अब बसपा और कांग्रेस का सम्भावित गठबंधन टूट चुका है. बसपा अब प्रदेश के अन्य छोटे दलों के सम्पर्क में है. प्रदेश में पहले ही वामदलों समेत 6 पार्टियों का लोकतांत्रिक गठबंधन बन चुका है. अब बसपा भी वामदलों के साथ ही राजपा, आप, हनुमान बेनीवाल और धनश्याम तिवाड़ी के साथ गठबंधन कर सकती है.
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Sachin Pilot |
बसपा का राजस्थान में सफर
प्रदेश में वैसे तो कई जिले ऐसे है जिनकी विधानसभाओं में बसपा का वोटबैंक है, लेकिन प्रदेश के 33 में से आठ जिले ऐसे है जहां पर बसपा के पास अपना बड़ा वोटबैंक है. जिसमें भरतपुर, सवाईमाधोपुर, करौली, चूरू, दौसा, धौलपुर, झुंझनूं शामिल हैं. बसपा ने साल 1990 में राजस्थान में चुनाव लड़ना शुरू किया था. उसे सफलता साल 1998 में पहली बार मिली जब उसके दो विधायक भरतपुर की नगर सीट से माहिर आजाद और अलवर की बानसून सीट से जगत सिंह दायमा जीते थे.
1998 में बसपा ने प्रदेश में कुल 108 कैडिंडेट उतारे थे जिसमें से उसके दो प्रत्याशी चुनाव जीते तो उसका वोट बैंक लड़ी हुई सीटों पर 3.81 रहा था. हालांकी माहिर आजाद ने बसपा को छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया था. इसी तरह साल 2003 में बसपा ने 124 सीटों पर अपने प्रत्याशी लड़वाये. हालांकी साल 2003 में भी बसपा के दो ही विधायक जीत सके लेकिन बसपा का वोट प्रतिशत 6.40 हो गया.
इस साल बांदीकुई से मुरारी लाल मीणा बसपा से विधायक बने तो वहीं करौली सीट से सुरेश मीणा विधायक बने. हालांकि बसपा के लिए राजस्थान में 2008 के चुनाव सबसे अच्छे रहे थे. जिसमें उसके 6 विधायक विधानसभा में जीतकर आये. साथ ही बसपा का वोटबैंक भी बढ़कर 7.66 प्रतिशत हो गया. विधानसभा चुनावों के बाद यही गोल्डन पिरियड बसपा के लिए सबसे खराब साबित हुआ. इस बार उसके 6 के 6 विधायक बसपा को छोडकर कांग्रेस में शामिल हो गये और मंत्री बन गये.
साल 2008 में बसपा के नवलगढ़ से राजकुमार शर्मा, बाड़ी से गिर्राज सिंह मलिंगा, उदयपुर वाटी से राजेन्द्र गुडा, सपोटरा से रमेश मीणा, गंगापुर से रामकेश मीणा और दौसा सीट से जीतकार आये मुरारी लाल मीणा थे. ये सब बसपा छोडकर कांग्रेस का हाथ थाम मंत्री बने. लेकिन साल 2013 में अपने 6 प्रत्याशियों को खोने के बाद बसपा का वोटबैंक मोदी लहर और किरोड़ी लाल मीणा की पार्टी राजपा के सामने उड़ गया.
हालांकि इस साल भी बसपा के तीन विधायक जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. इसमें सादुलशहर से वीरेन्द्र न्यांगली, खेतड़ी से पूरणमल सैनी और धौलपुर से बीएल कुशवाहा थे. इस साल बसपा का वोटबैंक भी घटकर 3.44 प्रतिशत रह गया. ऐसे में साल 2018 में होने वाले विधानसभा बसपा के लिए भी एक चैलेंज से कम नहीं होंगे.
Tags: Dainik Bhaskar News, Hanuman Beniwal Third Front, Hanuman Berniwal, news, Rajasthan Assembly election 2018, Rajasthan election, Rajasthan election News, rajasthan opinion poll, Rajasthan Patrika,bsp strategy, Hanuman Beniwal, Rajasthan Assembly election 2018, rajasthan election 2018, Rajasthan election date, rajasthan election news 2018, rajasthan election opinion poll, vidhansabha election ,राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2018 ! Rajasthan vidhansabha election 2018 news date opinion poll exit poll !
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Team HB
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