जयपुर।
राजस्थान में आज हुई 73% वोटिंग ने कइयों के सपने तोड़ दिए। खासकर कांग्रेस जो सपना देख रही थी, वह एकतरफा पूरा नहीं हो रहा है। बीजेपी के लिए मतदान से पूर्व लास्ट के 72 घन्टे बहुत कुछ कर गए।
जिसमें आरएसएस की नाराजगी दूर होना, क्रिश्चियन मिशेल का भारत लाना और अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला भाजपा को राहत का कारण बन गया है।
राजस्थान के रण में बीजेपी की तरफ से चौतरफा हमलों ने कांग्रेस को सांस लेने की फुरसत नहीं दी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, वसुंधरा राजे समेत एक दर्जन प्रभावी नेताओं “राहुल गांधी एंड पार्टी” के तमाम हमले नाकाम बना दिये।
राज्य में बरसों बाद तीसरा मोर्चा भी बहुत कुछ करता हुआ नजर आ रहा है। यूनिवर्सिटी की पॉलिटक्स से निकला एक लड़ाका बड़ी-बड़ी पार्टियों को पानी पिलाता दिख रहा है। खासकर उन जगह पर, जहां उसने 57 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।
Visit Our other website - Click Here
Visit Our other website - Click Here
राजस्थान विश्वविद्यालय में कभी मुख्य द्वार पर लटकने वाला, कभी कुलपति सचिवालय के गेट को हिलाने वाला, कभी जेल से रात को 2 बजे छूटकर सरकार की नाक में दम करने वाला यह विद्रोही लड़ाका इस बार भाजपा-कांग्रेस को बेर के पेड़ की तरह हिला चुके हैं।
जयपुर जिले की 5, नागौर डिस्ट्रिक्ट की 6, जोधपुर जिले की 3, अजमेर जिले की 2, सीकर डिस्ट्रिक्ट की 3, झुंझुनूं जिले की 2, बाड़मेर डिस्ट्रिक्ट की 2, जैसलमेर जिले की 2 सीटों पर कांग्रेस-भाजपा को पसीने लाने वाले राष्ट्रीय लोकतंत्र पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल को हलके में लेना किसी भी सियासी विश्लेषक के लिए आसान नहीं होगा।
समीकरण बिगड़ने पर कांग्रेस सत्ता से दूर रही तो बीजेपी हनुमान बेनीवाल पर जमकर डोरे डालेगी, इसमें कोई शक नहीं कर रहा होगा। ऐसे में उनके द्वारा कांग्रेस के अशोक गहलोत और सचिन पायलट को नकारना सबसे आसान बात कैसे होगी, यह भी देखने वाली बात है।
यदि कांग्रेस सत्ता में आई और हनुमान बेनीवाल की पार्टी को एक दर्जन सीटें मिल गईं, तो यह तय बात है कि पांच साल आसानी से राज़ करने के लिए कांग्रेस को भी नहीं मिलेंगे। भाजपा को भी फिर 5-5 साल वाले फेर से निकलने के लिए 10 साल इंतज़ार करना होगा।
इसमें कोई दोहराई नहीं कि कांग्रेस को विपक्ष में काम करने का इनाम मिलेगा, वरन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से कथित नाराज़गी कांग्रेस के लिए “बिल्ली के भाग का छींका” टूटने जैसा ही होगा।
ऐसे में भाजपा को अपने नेतृत्व पर विचार करना होगा और आरएसएस को नकारने की भूल करने से बचना होगा। इससे कांग्रेस को इस बात का मुगालता भी हो जाएगा कि 5-5 साल के अंतराल पर मुफ्त में राज़ तो मिल ही जायेगा।
बेनीवाल की सफलता और असफलता राजस्थान के राजनीतिक भविष्य को तय कर करेगी। साल 2013 में किरोड़ीलाल मीणा द्वारा किया गया प्रयास गर्त में जा चुका है, किन्तु बकौल हनुमान बेनीवाल ‘उनके असफल होने पर राजस्थान की सियासत में अगले 50 साल तक कोई लड़ाका हिम्मत नहीं करेगा।’
इसकी संभावना भी है, और अगर बेनीवाल की पार्टी राज्य में एक दर्जन तक सीटें भी जीतने में कामयाब होती है, तो यहां पर सियासी समीकरण उत्तर प्रदेश की भांति हो जाएंगे, जो बिना कैडर की पार्टी कांग्रेस के लिए बेहद घातक होगा।
फिलहाल राजस्थान में फलौदी सट्टा मार्केट का कहना है कि हनुमान बेनीवाल की कर्नाटक के कुमारस्वामी बनने की संभावना 100 प्रतिसत है, लेकिन अगर राजस्थान की जनता ने ऐसा किया, तो राज्य की राजनीतिक तस्वीर पूरी तरह से बदल जाएगी, जो यहां की सियासी प्रयोगशाला को एक नया जीवनदान दे जाए।
फलौदी सट्टा मार्किट के आज शाम के ताजा भाव के अनुसार हनुमान बेनीवाल की पार्टी 35-40 सीटों पर जीतती नजर आ रही है !
फलौदी सट्टा मार्किट के आज शाम के ताजा भाव के अनुसार हनुमान बेनीवाल की पार्टी 35-40 सीटों पर जीतती नजर आ रही है !
12 Comments
Rlp yes
ReplyDeleteRLP jindabad
ReplyDeleteJai javan jai kisan
ReplyDeleteRLP Jindabaad
ReplyDeleteRlp
ReplyDeleteJay jevan Jay kishan
ReplyDeleteइन्कलाब जिन्दाबाद
RLP jindabad
ReplyDeleteRlp
DeleteRlp
Deleteकिसान सरकार जिन्दाबाद
ReplyDeleteRlp jindabad
ReplyDeleteRLP
ReplyDelete